Tuesday, 7 May 2024

सांगानेर के 1000 वर्ष प्राचीन श्री ऋषभ देव मंदिर में ध्वजारोहण संपन्न


सांगानेर के 1000 वर्ष  प्राचीन श्री ऋषभ देव मंदिर एवं 4 00 वर्ष प्राचीन श्री चन्द्रप्रभु स्वामी श्वेताम्बर जैन मंदिरों में ध्वजारोहण कार्यक्रम संपन्न हुआ।  सांगानेर बस स्टैंड के पास त्रिपोलीया गली स्थित इन दोनों मंदिरों का वार्षिक ध्वजारोहण कार्यक्रम विधि विधान पूर्वक हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ. इस अवसर पर सिद्धाचल जी की पूजा पढाई गई. इस सन्दर्भ में उल्लेखनीय है की चोटानी बंधुओं द्वारा नागर शैली में निर्मित श्री ऋषभ देव स्वामी का मंदिर जयपुर का प्राचीनतम मंदिर है. यह अपनी स्थापत्य शैली एवं कलाकृतियों के लिए विख्यात है. इसका गुम्बद नयनाभिराम कलाकृतियों से पूर्ण है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता ये है की इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया गया है. 

इस मंदिर के साथ ही एक ही परिसर में श्री चन्द्रप्रभ स्वामी का भी एक  मंदिर है जो की 400 वर्ष प्राचीन है एवं जिसकी प्रतिष्ठा उपाध्याय समयसुन्दर के द्वारा की गई थी. यश मंदिर अपने लदान शैली के लिए विख्यात है. 

कार्यक्रम में श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर के मंत्री श्री देवेंद्र जी मालू, सांस्कृतिक मंत्री श्री सुशील जी मुसल, खरतर गच्छ युवा परिषद् के मंत्री श्री अभिषेक जी  राक्यान आदि बड़ी संख्या में गणमान्य श्रावक उपस्थित रहे. 

ज्योति कुमार कोठारी 
जयपुर 



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Thursday, 21 March 2024

मालपुरा तीर्थ में भव्य होली मेला, 24 व 25 मार्च 2024 को

1008 श्री वासुपूज्य स्वामीने नमः                                                                  श्री जिन कुशल सूरी सद्गुरूभ्यो नमः


मुख्य छतरी मालपुरा दादाबाड़ी 

प्रत्यक्ष प्रभावी 50 हजार नूतन जैन निर्माता युगप्रधान तृतीय दादा श्री जिन कुशलसूरीजी गुरुदेव की प्रत्यक्ष दर्शनस्थली मालपुरा तीर्थ में  प्रत्यक्ष दर्शन दिवस (होली पूनम) के उपलक्ष्य में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी  रविवार, 24 मार्च व सोमवार, 25 मार्च 2024 को भव्य होली मेले का आयोजन श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ (रजि.), जयपुर द्वारा किया जा रहा है. 

पावन निश्रा: प.पू. गुरुवर्या श्री मनोहर श्रीजी म.सा. की सुशिष्यायें प. पू. श्री मृगावती श्री जी म.सा. आदि ठाणा - 3 एवं शान्तमूर्ति साध्वी श्री महेन्द्रप्रभा श्रीजी म.सा. की सुशिष्यायें प. पू. साध्वी श्री लक्ष्यपूर्णा श्री जी म.सा. (डी. लिट) आदि ठाणा-5

प्रत्यक्ष प्रभावी, जंगम युगप्रधान दादा साहब श्री जिनकुशलसूरि के 691 वें प्रत्यक्ष दर्शन दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय कार्यक्रम रविवार 24 मार्च व सोमवार 25 मार्च 2024 को विश्व प्रसिद्ध श्री जिन कुशलसूरी दादाबाड़ी मालपुरा, (राजस्थान) में आयोजित किया जा रहा है। मालपुरा तीर्थ में तृतीय दादा गुरुदेव श्री जिन कुशलसूरी जी ने स्वर्गवास के 15 दिन पश्चात् साक्षात दर्शन दिये थे। जिस शिला पर गुरूदेव ने साक्षात दर्शन दिये थे, उस शिला पर गुरूदेव के चरण स्वतः अंकित हो गए थे. वही शिला मालपुरा तीर्थ की आत्मा है तथा यहाँ उसी शिला पर गुरूदेव के स्वअंकित चरणों की पूजा होती है। इस तीर्थ स्थली में शिखरबद्ध दो मंजिला जिन मन्दिर, भव्य विशाल दादाबाड़ी एवं खरतरगच्छ अधिष्ठायिका श्री अंबिका देवी का मन्दिर सुप्रतिष्ठित है।


आमंत्रण पत्रिका मालपुरा दादाबाड़ी होली मेला 
 

कार्यक्रम

फाल्गुन सुदि 14, सम्वत् 2080, रविवार, 24 मार्च 2024

पक्षाल पूजा व स्नात्र पूजा प्रात: 8.00 बजे से
गुरुदेव पूजन प्रात: 10.00 बजे
साधर्मी वात्सल्य दोपहर 12.00 बजे
साधर्मी वात्सल्य सायं 5.00 बजे से
रात्रि जागरण रात्रि 8.00 बजे से 

फाल्गुन सुदि पूर्णिमा, सम्वत् 2080, सोमवार, 25 मार्च 2024

भक्तामर पाठ व गुरु इकतीसा प्रात: 6.00 बजे
अल्पाहार प्रात: 8.00 बजे से
पक्षाल पूजन एवं स्नात्र पूजा प्रात: 8.30 बजे
दादा गुरुदेव की बड़ी पूजन प्रात: 10.30 बजे
साधर्मी वात्सल्य मध्यान्ह 12.30 बजे से

सम्पूर्ण होली मेले के लाभार्थी

स्व. श्रीमान् हरकचन्द जी नाबेडा - धर्मपत्नि स्व. श्रीमती सूरज देवी जी नाबेडा के दिव्य आर्शीवाद से श्री पीरूलाल जी श्रीमती तारादेवी जी, श्री शोभाग सिंह जी श्रीमती सुशीला जी श्री निहालचन्द जी श्रीमती चन्द्रकान्ता जी, श्री राजेन्द्र कुमार जी श्रीमती इंदिरा जी एवं समस्त नावेडा परिवार, बिजयनगर - हैदराबाद

गायक कलाकार- श्री संयम नाबेड़ा, श्री राजीव विजयवर्गीय, श्री वैभव बाघमार, श्री विपिन पोरवाल, श्री लवेश बुरड़, श्री देपेश जैन एवं संगीतकार : श्री कमल-सुनील परमार


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Friday, 12 April 2019

विजन डॉक्यूमेंट- खरतर गच्छ संघ, जयपुर



Vision Document For Khartar Gachchh Sangh, Jaipur 

५ सितम्बर २०१७ अर्थात डेढ़ साल पहले यह विजन डॉक्यूमेंट संघ के सभी कार्यकारिणी सदस्यों को भेजकर उनके सुझाव आमंत्रित किये गए थे.  अब इस ब्लॉग के माध्यम से संघ के सभी  सभी सदस्यों से सुझाव आमंत्रित करता हूँ. 
  • १. आपका आधारभूत मूल्य / नीति क्या है? 
  • जिनवाणी व धर्म को आधार मानते हुए चतुर्विध संघ , मानव जाति  एवं प्राणीमात्र की सेवा  करना. 
  • स्वार्थ नहीं अपितु सेवा के भाव से कार्य करना. 

२. आपके लक्ष्य का मुख्य केंद्र बिंदु क्या है?

  • खरतर गच्छ संघ , जयपुर के सदस्यों में जिनवाणी एवं धर्म के भाव को पुष्ट करना, मानव मात्र में उसका प्रसार करना. 
  • सेवा के कार्य को बढ़ाना जिससे संघ के सदस्यों एवं मानवमात्र की सुख समृद्धि में वृद्धि हो. धर्माराधन के अतिरिक्त शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार  आदि क्षेत्रों में  निरंतर कार्य करना. 
  • जैन समाज के विवाहादि सम्वन्ध  जैन समाज में ही हो इसके लिए योजना बना कर काम करना।  
  • समाज में दिखावे एवं फ़िज़ूलख़र्ची को रोकना. 
  • संघ की सम्पत्तियों का उचित रखरखाव, संरक्षण एवं परिवर्धन करना एवं उसे पर्यावरणोन्मुखी बनाना। 
  • वर्त्तमान में होनेवाले सभी कामों की गुणवत्ता में वृद्धि करना. 

३. आपका १० साल का लक्ष्य क्या है?

  • खरतर गच्छ संघ , जयपुर के प्रत्येक सदस्य में  जिनवाणी के प्रति आस्था उत्पन्न करना  एवं उन्हें जिनवाणी के अनुसार वर्तन करने को  निरंतर प्रेरित करना. 
  • संघ के आय को ४ गुना करना एवं बजट का ५० प्रतिशत सेवाकार्यों में खर्च करना. 
  • संघ के प्रत्येक सदस्य के उचित आय, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि का प्रवन्ध करना. 
  • संघ के सभी उपयुक्त स्थलों पर सौर विद्युतीकरण , जल-पुनर्भरण  एवं वृक्षारोपण का  कार्य पूरा करना. 

४. आपकी प्रचार-प्रसार की नीति क्या है? 

  • तीन स्तर पर प्रचार-प्रसार करना है १. अपने सदस्यों में २. भारत-दुनिया के अन्य भागों के जैनों में ३. अन्य धर्मावलम्वियों में.
  • प्रचार प्रसार के लिए वैयक्तिक संपर्क, छपी हुई सामग्री एवं डिजिटल माध्यमों का उपयोग किया जायेगा. जनसम्पर्क इसकी सबसे  महत्व पूर्ण  कड़ी है. 
  • धार्मिक यात्राओं का आयोजन करना. 

५. आपके तीन साल का चित्र क्या है?

  • तीन साल में खरतर गच्छ संघ , जयपुर की आय को कम से कम ५० प्रतिशत बढ़ाना एवं सेवा कार्य में संघ की आय का १५ से २० प्रतिशत खर्च करना. 
  • संघ के प्रत्येक सदस्य परिवार तक न्यूनतम २ लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध करवाना. 
  • सभी जरूरतमंद विद्यार्थी के विद्यालयीन शिक्षा खर्च के ५०% तक का परिलाभ देना.  
  • २५  हज़ार से कम मासिक आयवाले परिवारों को आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक सहयोग दे कर उनकी आय को कम से कम २५ हज़ार तक पहुंचाना. 
  • ३ व्यक्तियों को ५ प्रतिक्रमण एवं २ अन्य को २ प्रतिक्रमण सीखाना, २ व्यक्तियों को धार्मिक विधि विधान सिखाना एवं ५ व्यक्तियों को संगीत सिखाना.  
  • मोहनबाड़ी के नए मंदिर एवं दादाबाड़ी का निर्माण कार्य पूरा करवाना. 
  • सांगानेर की दादाबाड़ी का काम मास्टर प्लान के अनुसार कम से कम  ४०% पूरा करवाना. 
  • सभी मंदिरों के जीर्णोद्धार का काम पूरा करवाना. 
  • सभी आवश्यक स्थानों में जल पुनर्भरण  एवं वृक्षारोपण का काम पूरा करवाना, आवश्यकता का ३० प्रतिशत विद्युत् सौर ऊर्जा से प्राप्त करना. 

६. आपकी एक साल की योजना क्या है? 

  • मालपुरा के मरम्मत एवं रखरखाव का काम पूरा करवाना. 
  • मालपुरा में जल पुनर्भरण एवं  सौर विद्युतीकरण का काम करवाना. 
  • सांगानेर दादाबाड़ी का मास्टर प्लान के अनुसार काम शुरू करना. 
  • खो मंदिर में बोरिंग करवा कर वृक्षारोपण करवाना. 
  • आमेर, मोहनबाड़ी, सांगानेर आदि प्राचीन मंदिरों के प्राचीन स्वरुप को बरकरार रखते हुए उनका जीर्णोद्धार करवाना। 
  • स्वास्थ्य बीमा का काम पूरा करवाना एवं शिक्षा के लिए ५ लाख खर्च करना. 
  • १ व्यक्ति को २ एवं एक को ५ प्रतिक्रमण सिखाना। २ व्यक्तियों को संगीत की शिक्षा दिलाना. 
  • संघ की वेबसाइट बनवा कर डिजिटल माध्यम को बढ़ावा देना. 
  • सभी मंदिरों में  अच्छी गुणवत्ता का चन्दन उपलब्ध करवाना. 

७. आपका तीन महीने का लक्ष्य क्या है?

  • मालपुरा  के रखरखाव एवं यात्री सुविधाओं  के मुख्य कामों को करवा लेना. 
  • सांगानेर, आमेर आदि सभी स्थानों में जीर्णोद्धार का काम शुरू करवाना. 
  • मोहनबाड़ी एवं सांगानेर में पानी का कनेक्शन लेना. 
  • सभी मंदिरों में अच्छी गुणवत्ता का धुप व केशर उपलब्ध करवाना. 
  • स्वास्थ्य बीमा का काम पूरा करवाना।  
  • प्रतिक्रमण एवं भक्ति संगीत सीखाने का काम शुरू करना. 
  • क़ानूनी काम के लिए एवं प्रचार प्रसार के लिए कार्यकारिणी समिति से एक-एक व्यक्ति को नियुक्त करना. 

८. आपकी समस्याएं क्या है?

  • संघ की आधारभूत नीति से तालमेल रखनेवाले उचित प्रणाली का अभाव. 
  • संघ के कार्यों को सम्भालनेवाले कार्यकारिणी सदस्यों के बीच में काम का सही तरीके से वितरण नहीं होना.  
  • प्राप्त आय का सही जगह इस्तेमाल नहीं होना व अनावश्यक कामों में खर्च होना. 
  • संघ की उपलब्धियों का उचित प्रचार प्रसार नहीं होना. 

Thanks,
Jyoti Kothari

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Sunday, 17 March 2019

मोहनबाड़ी, जयपुर में अखिल भारतीय श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ महासंघ की सभा


आज  अरिहंत वाटिका, मोहनबाड़ी, जयपुर में अखिल भारतीय श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ महासंघ की कार्यकारिणी की सभा संपन्न हुई.  बैठक में महासंघ  अध्यक्ष श्री रिखब चन्द झारचुर, सहमंत्री श्री धर्मेंद्र मेहता मेहता सहित कार्यकारिणी के अनेक सदस्य उपस्थित थे.

मोहनबाड़ी में निर्माणाधीन विशाल जिनमन्दिर 
श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर को इस बैठक के आतिथ्य का अवसर प्राप्त हुआ. खरतर गच्छ संघ, जयपुर के संघमन्त्री श्री ज्योति कोठारी ने महासंघ  अध्यक्ष श्री रिखब चन्द झारचुर, एवं सहमंत्री श्री धर्मेंद्र मेहता का तिलक एवं माल्यार्पण  स्वागत किया।

अन्य कार्यकारिणी सदस्यों का स्वागत मोहनबाड़ी व्यवस्थापक श्री सुशील जी बुरड़ एवं कार्यकारिणी सदस्य श्री अनिल जी बैद ने किया। अवसर पर संघमन्त्री श्री ज्योति कोठारी ने महासंघ का आगामी चुनाव मालपुरा में कराने हेतु निवेदन किया। उन्होंने कहा की इस  सम्वन्ध में सभी सुविधा खरतरगच्छ संघ, जयपुर द्वारा प्रदान की जाएगी। महासंघ अध्यक्ष ने इस सम्वन्ध में विचार करने का आश्वासन दिया.

Thanks,
Jyoti Kothari

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Saturday, 4 August 2018


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Thanks,
Jyoti Kothari

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Sunday, 3 June 2018

पर्यावरण संरक्षण से मयूर अभयारण्य बना सांगानेर दादाबाड़ी


पर्यावरण संरक्षण से मयूर अभयारण्य बना सांगानेर दादाबाड़ी 
Peacock Sanctuary at Sanganer Dadabadi 

सांगानेर की जैन दादाबाड़ी अब मयूरों का अभयारण्य बन चुकी है. पर्यावरण संरक्षण के उपायों से ऐसा संभव हुआ है. सांगानेर कभी जयपुर शहर से बहुत दूर हुआ करता था और यहाँ पर घने पेड़ों से घिरा हुआ प्राकृतिक वातावरण था. परन्तु पिछले कुछ दशकों में इसने एक शहर का रूप ले लिया है और यहाँ कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए हैं. प्राकृतिक वातावरण का अभाव होने से यहाँ से वन्य जीव जंतु भी लुप्त होने लगे हैं.

Peacock sitting above a tree at Sanganer Dadabadi Jaipur
सांगानेर दादाबाड़ी, जयपुर में पेड़ पर बैठा मयूर 

Peacock moving at the roof Sanganer Dadabadi Jaipur
सांगानेर दादाबाड़ी, जयपुर में छत पर घूमता मयूर

Peacock moving at the garden Sanganer Dadabadi Jaipur
सांगानेर दादाबाड़ी, जयपुर में पेड़ों के नीचे घूमते मयूर
 इस कंक्रीट के जंगल के बीच में सांगानेर की प्राचीन दादाबाड़ी में आज भी काफी पेड़ बचे हुए हैं और यह स्थान मोर, तोते आदि पक्षियों के लिए सुरक्षित स्थली है. आज यहाँ पर १५० से २०० मोर हैं जो की इस स्थान की सुंदरता को चार चांद लगाते हैं. यहाँ पर प्रतिदिन सुबह शाम ज्वार, बाजरा, मक्का आदि दाना डाला जाता है जिससे मोर, तोते, कबूतर और गिलहरियों का पेट भरता है. पानी की भी समुचित व्यवस्था की गई है जिससे यह स्थान एक अभयारण्य की तरह विकसित हो रहा है.

सांगानेर की श्री जिन कुशल सूरी दादाबाड़ी अत्यंत प्राचीन है. अकबर प्रतिबोधक चतुर्थ दादा श्री जिन चंद्र सूरी जी की प्रेरणा एवं सदुपदेश से बीकानेर निवासी मंत्रीश्वर करमचन्द बच्छावत ने १६ विन शताब्दी में इस दादाबाड़ी का निर्माण करवाया था. इस दादाबाड़ी में श्री जिन दत्त सूरी, जिन चंद्र सूरी, जिनपति सूरी आदि के भी प्राचीन चरण हैं.

Jyoti Kothari at Peacock sanctuary Sanganer Dadabadi
सांगानेर दादाबाड़ी, जयपुर में घूमते हुए लेखक व अन्य युवा 

Peacock sitting on a tree at Sanganer dadabadi sanctuary
सांगानेर दादाबाड़ी, जयपुर में पेड़ पर बैठा मयूर
  जैन आगमों एवं शास्त्रों में बहुतायत से उल्लेख मिलता है की तीर्थंकर परमात्मा एवं आचार्य भगवंतों का प्रवचन उपवनों में होता था. उपवन एक बगीचे जैसा स्थल होता है. शहर से दूर एकांत स्थल में शांत प्राकृतिक वातावरण में अध्यात्म की लहर जगती थी. दिगंबर जैनों की नसियाँ एवं श्वेताम्बरों की दादाबाड़ी भी बाग़ बगीचों के बीच ही होती थी. वस्तुतः दादाबाड़ी में बड़ी शब्द का अर्थ ही बगीचा होता है. परन्तु आज सबकुछ बदल गया है और हम पेड़ पौधे और प्राकृतिक वातावरण से दूर होते चले जा रहे हैं. 

आज सभी को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना आवश्यक हो गया है अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब ग्लोबल वॉर्मिंग एवं ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट हमे निगल लेगा. इसके लिए विशेष कर युवाओ को जागृत करना बेहद आवश्यक है. युवाओं के लिए चलाए जा रहे विशेष कार्यक्रम में आज 3 जून रविवार को सुबह 6 बजे ही 30-40 युवा, महिलाएं एवं बच्चों ने सांगानेर दादाबाड़ी पहुच कर दर्शन व गुरु इकतिसा पाठ किया। इसके बाद संरक्षित मोर, तोते एवं कबूतरों को दाना खिलाया। सुंदर मोर एवं तोतों को प्राकृतिक वातावरण में विचरते देख कर सभी बहुत आनंदित हुए।  खास कर छोटे बच्चों को बहुत ही मज़ा आया।

Peacock sitting on a tree at Sanganer dadabadi sanctuary
सांगानेर दादाबाड़ी, जयपुर में पेड़ पर बैठा मयूर

Peacock sitting in a dry area at Sanganer dadabadi sanctuary
सूखे स्थान में बैठा मोर 

Peacock moving in the bush at Sanganer dadabadi sanctuary
झाड़ियों के बीच घूमते मोर 

पेड़ की डाली पर बैठा मोर 
दादाबाड़ी से सभी शहर के प्राचीन मंदिर पहुचे। अब तक 10-15 लोग और जुड़ चुके थे। यहां पर ज्योति कोठारी ने सभी को दोनों मंदिरों के इतिहास, कला एवं स्थापत्य की जानकारी दी। सभी मे अपने ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण व संवर्धन की भावना बलवती हुई। इसके बाद चाय-नाश्ता व स्नान कर सबने भक्तिपूर्वक स्नात्र पूजा किया। इस तरह आज का भक्ति, पर्यावरण, जीवदया एवं इतिहास से जुड़ा यह कार्यक्रम सानंद सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम में खरतरगच्छ संघमंत्री के अतिरिक्त कार्यकारिणी सदस्य श्री पारस जी डागा, श्री अशोक जी डागा, पूर्व सांस्कृतिक मंत्री श्री राजेन्द्र जी भंसाली, मानसरोवर समाज के पूर्व मंत्री श्री महेश जी महमवाल, खरतरगच्छ युवा परिषद के संयुक्त मंत्री श्री अभिषेक राक्यान आदि भी उपस्थित थे। प्रति रविवार सम्पन्न होनेवाले युवा कार्यक्रमों में सम्मिलित होने की विनम्र विनती है।

सभी को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना आवश्यक है अन्यथा यह पृथ्वी रहने लायक नहीं रहेगी. अधिक से अधिक पेड़ लगाएं, पानी बचाएं और जीवों का संरक्षण करें.

राजस्थान में खून की नदी न बहाने दें 

Thanks,
Jyoti Kothari

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Sunday, 20 May 2018

समय प्रवंधन जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग: प्रोफ़ेसर रमेश अरोड़ा

समय प्रवंधन जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग: प्रोफ़ेसर रमेश अरोड़ा

सिकंदर महान अपनी माँ से मिलने के लिए अपना सम्पूर्ण राज्य दे कर अपने जीवन को दो दिन बढ़ाना चाहता था, और इसके लिये उसने अपने हकीमों से गिड़गिड़ा कर प्रार्थना की थी; परन्तु अपनी सारी कोशिशों के बाबजूद वे उस महान सम्राट को बचा नहीं पाए. इसी प्रकार हिंदी फिल्मों की महान अभिनेत्री 'नूतन' कैंसर से पीड़ित थी और उसका बेटा उसे देखने आ रहा था. नूतन की अंतिम इच्छा अपने बेटे से मिलने की थी पर बेटे के पहुंचने से केवल २० सेकंड पहले उसकी मृत्यु हो गयी. इन घटनाओं से हमे समय का महत्व समझ में आता है. मैनेजमेंट डेवलपमेंट अकादमी के चेयरमैन प्रोफ़ेसर रमेश अरोड़ा आज श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर  द्वारा मोती डूंगरी रोड स्थित दादाबाड़ी में युवाओं के लिए आयोजित कार्यक्रम में Smart Time Management विषय पर बोल रहे थे. 


 प्रोफ़ेसर रमेश अरोड़ा दादाबाड़ी में Smart Time Management विषय पर बोलते हुए
प्रोफ़ेसर अरोड़ा ने कहा की भगवान महावीर गृहस्थ अवस्था में वैभवशाली राजकुमार वर्द्धमान थे परन्तु जब वे वैभव को त्याग कर साधु बने तब जीवन में अध्यात्म को प्रमुखता दी और एक एक क्षण का उपयोग कर अपना सम्पूर्ण समय उद्देश्य की सिद्धि में लगा दिया. उन्होंने कहा की हम भी केवल वैभव के प्रदर्शन में ही अपना समय व्यर्थ न करें.

उन्होंने आगे कहा की जीवन समय से ही बना है. जीवन के सात मुख्य आयामों शारीरिक, मानसिक,  पारिवारिक, सामाजिक, व्यापारिक, भावनात्मक, एवं आध्यात्मिक कर्तव्यों के बीच संतुलन एवं उनमे समय का सही प्रवंधन करने से जीवन को सार्थक और सफल बनाया जा सकता है. उन्होंने समय प्रवंधन को सभी प्रवंधन तकनीकों में सबसे महत्वपूर्ण और सफलता का सूत्र बताया.  


दादाबाड़ी में आयोजित कार्यक्रम में दर्शकों को सम्वोधित करते हुए प्रोफ़ेसर रमेश अरोड़ा 
खरतर गच्छ संघ के सांस्कृतिक मंत्री श्री अनिल श्रीमाल ने एक भावगीत के साथ कार्यक्रम प्रारम्भ किया. खरतर गच्छ संघ के मंत्री ज्योति कोठारी ने प्रोफेसर अरोड़ा का परिचय देते हुए उन्हें प्रवंधन गुरु एवं प्रभावी वक्ता के रूप में अभिहित किया. आयोजक संगठनों के अध्यक्ष सर्वश्री प्रकाश चन्द लोढ़ा, सुनील महमवाल, देवेंद्र मालू एवं हेमंत टांक ने माला एवं साफा पहना कर श्री अरोड़ा जी का स्वागत किया. 

कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तरी में नितिन बागरेचा, अभिषेक राक्यान आदि युवाओं ने सम्वन्धित विषय पर प्रश्न पूछे जिसका प्रोफ़ेसर अरोड़ा ने उत्तर दिया. तपागच्छ संघ के महासमिति सदस्य श्री विमल पुनमिया एवं श्री शांति सिंघी ने भी अपने विचार व्यक्त किये. 

कार्यक्रम संयोजक ज्योति कोठारी ने कहा की भगवान  महावीर ने अपने प्रथम शिष्य गणधर गौतम स्वामी को बार बार कहा था की "हे गौतम, एक समय का भी प्रमाद मत करो".  इस बात से जैन धर्म में समय प्रवंधन का महत्व रेखांकित होता है. उन्होंने प्रोफ़ेसर रमेश अरोड़ा जी, इस कार्यक्रम से जुड़नेवाले सभी संगठनों, खरतर गच्छ संघ, श्रीमाल सभा, खरतर गच्छ युवा परिषद् , जिन दत्त कुशल सूरी युवा मंडल एवं उपस्थित युवाओं, एवं सभी श्रोताओं को धन्यवाद अर्पित किया. 

विशेष: श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर युवाओं के लिए लगातार विशेष कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है. इस कड़ी में यह चौथा रविवार था. अन्य जैन संगठन भी अब इस कार्यक्रम से जुड़ने लगे हैं और इसके लिए उन सभी का आभार एवं अधिक से अधिक युवा जुड़ें इसके लिए आत्मीय निवेदन.

Thanks,
Jyoti Kothari

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