दादागुरु चरण मालपुरा तीर्थ |
डा मुरलीमनोहर जोशी एवं खरतर गच्छ संघ के पदाधिकारीगण |
दस मार्च को दादामेले में डा मुरलीमनोहर जोशी ने मालपुरा में दादा जिन कुशल सूरी जी के दर्शन किये. वे मालपुरा दादाबाड़ी के दर्शन हेतु चेन्नई से सीधे जयपुर पधारे एवं यहाँ से मालपुरा गये. मालपुरा दादाबाड़ी में ३ घंटे वीटा कर डा मुरलीमनोहर जोशी जयपुर के रस्ते दिल्ली पधार गये.
मालपुरा में दादा गुरुदेव के चरणों के पास बैठ कर उन्होंने काफी समय तक पूजा अर्चना एवं प्रार्थना की। इसके बाद वे वहां विराजित परम पूज्या साध्वी वृन्दो के दर्शनार्थ गए एवं उनसे मांगलिक सुना। मेला लाभार्थी श्री सुवोध चंद बोथरा एवं जयपुर खरतर गच्छ संघ के पदाधिकारीगण उन्हें स्वागत कक्ष में ले कर गए जहाँ उनका भाव भीना स्वागत किया गया।
संघ मंत्री ज्योति कोठारी ने अपने स्वागत भाषण में कहा की डा मुरलीमनोहर जोशी पूर्व और पश्चिम के मिलन स्वरुप है। वे पाश्चात्य विद्या Physics के प्राध्यापक हैं लेकिन उनका आचरण पूरी तरह से भारतीय है. इस तरह वे गंगा जमुना संगम जैसे हैं संसदीय लोक लेखा समिति के अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए कितना दवाव और प्रलोभन आता है इसे बताना कठिन है. उन्होंने कहा की दादा जिन कुशल सूरी के दरबार में ऐसे महत्वपूर्ण व्यक्ति का पधारना संघ के लिए गौरव की बात है.
डा मुरलीमनोहर जोशी ने कहा की श्रमण एवं ब्राह्मण ये दो धाराएँ हजारों वर्षों से भारत की धरती को मार्गदर्शन देती रही है. सिन्धु घटी की सभ्यता के अवशेषों में भी जैन तीर्थंकरों एवं साधको की प्रतिकृतिया मिलती है. जर्मन विद्वान हर्मन जकोबी ने जैन धर्म पर बहुत शोध किया एवं जैन दर्शन को पाश्चात्य समाज के सामने लये.
संघ के पदाधिकरिगणों ने डा जोशी का माल्यार्पण, सफा एवं शाल से स्वागत किया। उन्हें स्मृति चिन्ह के रूप में मालपुरा प्रतिष्ठा का एक चांदी का सिक्का भी भेट किया गया।
Thanks,
Jyoti Kothari
No comments:
Post a Comment