समय प्रवंधन जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग: प्रोफ़ेसर रमेश अरोड़ा
सिकंदर महान अपनी माँ से मिलने के लिए अपना सम्पूर्ण राज्य दे कर अपने जीवन को दो दिन बढ़ाना चाहता था, और इसके लिये उसने अपने हकीमों से गिड़गिड़ा कर प्रार्थना की थी; परन्तु अपनी सारी कोशिशों के बाबजूद वे उस महान सम्राट को बचा नहीं पाए. इसी प्रकार हिंदी फिल्मों की महान अभिनेत्री 'नूतन' कैंसर से पीड़ित थी और उसका बेटा उसे देखने आ रहा था. नूतन की अंतिम इच्छा अपने बेटे से मिलने की थी पर बेटे के पहुंचने से केवल २० सेकंड पहले उसकी मृत्यु हो गयी. इन घटनाओं से हमे समय का महत्व समझ में आता है. मैनेजमेंट डेवलपमेंट अकादमी के चेयरमैन प्रोफ़ेसर रमेश अरोड़ा आज श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर द्वारा मोती डूंगरी रोड स्थित दादाबाड़ी में युवाओं के लिए आयोजित कार्यक्रम में Smart Time Management विषय पर बोल रहे थे.
प्रोफ़ेसर रमेश अरोड़ा दादाबाड़ी में Smart Time Management विषय पर बोलते हुए |
उन्होंने आगे कहा की जीवन समय से ही बना है. जीवन के सात मुख्य आयामों शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, सामाजिक, व्यापारिक, भावनात्मक, एवं आध्यात्मिक कर्तव्यों के बीच संतुलन एवं उनमे समय का सही प्रवंधन करने से जीवन को सार्थक और सफल बनाया जा सकता है. उन्होंने समय प्रवंधन को सभी प्रवंधन तकनीकों में सबसे महत्वपूर्ण और सफलता का सूत्र बताया.
दादाबाड़ी में आयोजित कार्यक्रम में दर्शकों को सम्वोधित करते हुए प्रोफ़ेसर रमेश अरोड़ा |
कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तरी में नितिन बागरेचा, अभिषेक राक्यान आदि युवाओं ने सम्वन्धित विषय पर प्रश्न पूछे जिसका प्रोफ़ेसर अरोड़ा ने उत्तर दिया. तपागच्छ संघ के महासमिति सदस्य श्री विमल पुनमिया एवं श्री शांति सिंघी ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
कार्यक्रम संयोजक ज्योति कोठारी ने कहा की भगवान महावीर ने अपने प्रथम शिष्य गणधर गौतम स्वामी को बार बार कहा था की "हे गौतम, एक समय का भी प्रमाद मत करो". इस बात से जैन धर्म में समय प्रवंधन का महत्व रेखांकित होता है. उन्होंने प्रोफ़ेसर रमेश अरोड़ा जी, इस कार्यक्रम से जुड़नेवाले सभी संगठनों, खरतर गच्छ संघ, श्रीमाल सभा, खरतर गच्छ युवा परिषद् , जिन दत्त कुशल सूरी युवा मंडल एवं उपस्थित युवाओं, एवं सभी श्रोताओं को धन्यवाद अर्पित किया.
विशेष: श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर युवाओं के लिए लगातार विशेष कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है. इस कड़ी में यह चौथा रविवार था. अन्य जैन संगठन भी अब इस कार्यक्रम से जुड़ने लगे हैं और इसके लिए उन सभी का आभार एवं अधिक से अधिक युवा जुड़ें इसके लिए आत्मीय निवेदन.
Thanks,
Jyoti Kothari