Tuesday 14 November 2017

पौष दशमी का जुलुश और ऐतिहासिक रथ

पौष दशमी का जुलुश और ऐतिहासिक रथ 

पिछले ब्लॉग में मैंने इस वर्ष होनेवाले पौष दशमी कार्यक्रम के बारे में लिखा था एवं उसमे ऐतिहासिक रथ के बारे में बताया था. यह रथ एक ऐतिहासिक विरासत है जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है. इस रथ का निर्माण श्री मांगीलाल जी जांगिड़ नाम के कलाकार ने करना शुरू किया था  (सन १८६९) परन्तु वह अपने जीवन काल में इसका निर्माण पूरा नहीं कर पाए. उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र श्री जयलाल जी ने इसका निर्माण पूरा किया. इस रथ को बनाने में ३५ वर्ष का लम्बा समय लगा. जब पौष बड़ी नवमी, सम्वत १९६१ (ईस्वी सन १९०४)  में पहली बार यह रथ पार्श्वनाथ भगवन की शोभायात्रा में निकला तब जयपुर की जनमेदिनी इसे देखने के लिए उमड़ पड़ी थी. तब से ले कर आज तक यह रथ पौष दशमी के जुलुश में निकलता है. श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर के लिए तब से ले कर आज तक यह रथ गौरव का विषय बना हुआ है.

मोहनबाड़ी में खड़ा भव्य रथ 
पहले पौष बड़ी ९ को यह वरघोड़ा श्री सुपार्श्व नाथ स्वामी के बड़े मंदिर से निकल कर मोहनबाड़ी जाता था और दूसरे दिन वहां से पौष बड़ी १० के दिन वापस बड़े मंदिर आता था. बाद में यह जुलुश एक दिन का रह गया और केवल मोहनबाड़ी से बड़े मंदिर, दड़ा, घीवालों का रास्ता, जोहरी बाजार, जयपुर तक आने लगा. इस वर्ष १२ दिसंबर को यह जुलुश फिर से बड़े मंदिर से मोहनबाड़ी तक ले जाया जायेगा।

जयलाल जी के पुत्र छाजुलाल जी ने भी इस काम को बखूबी संभाला. अब उनके पुत्र गिरधारी जी जांगिड़ भी इस रथ की सार संभाल कर रहे हैं. हर साल पौष दशमी के वरघोड़े से पहले वे स्वयं इस रथ के रख रखाव का काम सँभालते हैं और जुलुश में रथ को चलाने का काम करते हैं. ७३ वर्षीय गिरधारी जी ने स्मृतिचारण करते हुए  बताया की इस रथ से उनका पांच पीढ़ी का सम्वन्ध है. उन्होंने यह भी बताया की लगभग ५० साल पहले उनके ताऊजी ने इस रथ की मशीन बदल कर इसकी गति में वृद्धि की थी. पांच वर्ष पहले उन्होंने मुझे ३०-४० वर्ष पहले खींचे हुए रथ के ४ चित्र दिए थे जिन्हे मैंने उस समय ब्लॉग में पोस्ट किया था.

इस भव्य रथ का मुख्य आकर्षण इसमें जोते हुए दो सफ़ेद रंग के घोड़े हैं. यह घोड़े अत्यंत वलिष्ठ दीखते हैं और इनकी शान ही निराली है. भव्य साज के साथ इन दोनों घोड़ों को जो भी देखता है वो इसकी तारीफ किये बिना नहीं रह सकता. ६ पहियोंवाला यह रथ भी अपने आप में भव्यता लिए हुए है. सुन्दर कलात्मक कारीगरी एवं सोने का काम इसकी सुंदरता में चार चाँद लगाता है. रथ के ऊपर बना हुआ गुम्बज अपनी शोभा से सभी का मन मोह लेता है.

Thanks,
Jyoti Kothari

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Sunday 12 November 2017

पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक पौष दशमी कार्यक्रम



पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक पौष दशमी कार्यक्रम 
१२ दिसंबर, २०१७ 

पौष वदी दशमी भगवान श्री पार्श्वनाथ स्वामी का जन्म कल्याणक दिवस है. आज से २९०० वर्ष पूर्व इसी दिन वाराणसी नगरी में महाराजा अश्वसेन की धर्मपत्नी वामा रानी की रत्न कुक्षि से १४ महास्वप्न सूचित २३ वे तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ स्वामी ने जन्म लिया था. पुरुषों में श्रेष्ठ होने से वे पुरुषदानीय भी कहलाते हैं. सामान्य लोगों की भाषा में उन्हें पारसनाथ कहा जाता है. सभी २४ तीर्थंकरों में वे सर्वाधिक प्रसिद्द हैं और सबसे अधिक तीर्थ भी पारसनाथ के नाम से ही है. १०८ पारसनाथ तो विख्यात है ही. आपके ४ कल्याणक च्यवन, जन्म, दीक्षा एवं केवलज्ञान कशी देश की वाराणसी नगरी में हुए और आपका मोक्ष कल्याणक (निर्वाण) सम्मत शिखर गिरिराज पर हुआ. भगवान पारसनाथ श्याम वर्ण के थे, १० हाथ की काया थी एवं १०० वर्ष की उनकी आयु थी.

पारसनाथ भगवान् का जन्म कल्याणक दिवस पौष वदी दशमी जैन समाज का बड़ा पर्व है और इसे दुनिया भर में धूमधाम से मनाया जाता है. श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर भी सैंकड़ों वर्षों से धूमधाम से इसे मनाता आ रहा है. विगत कुछ वर्षों से इसे श्वेताम्बर जैन समाज के विभिन्न संघों को सम्मिलित कर इस कार्यक्रम को सामूहिक रूप दिया गया है.

gorgeous chariot rath khartar gachchh sangh jaipur
पौष दशमी वरघोड़ा - भव्य रथ का प्राचीन चित्र 
मंगलवार, १२ दिसंबर प्रातः ८.३० बजे श्री सुपार्श्वनाथ स्वामी के बड़े मंदिर, दड़ा, घीवालों के रस्ते से साधु- साध्वी, श्रावक-श्राविकाओं  (चतुर्विध संघ) के साथ भव्य वरघोड़ा निकाला जायेगा. हाथी, घोड़े, लवाजमे, बैंड एवं भजन मंडलियों के साथ बाजते गाजते यह भव्य जुलुश जोहरी बाजार, बड़ी चौपड़, रामगंज, सूरजपोल होते हुए मोहनबाड़ी, गलता रोड पहुंचेगी. यहाँ पर नवकारसी (नाश्ता) के बाद श्री पार्श्वनाथ पञ्च कल्याणक पूजा पढाई जाएगी एवं साधर्मी वात्सल्य का आयोजन रहेगा. श्री हुक्मीचन्द जी विजेन्द्र कुमार जी कांकरिया परिवार ने नवकारसी एवं साधर्मी वात्सल्य का लाभ लिया है.

प्राचीन रथ की भव्य कारीगरी 
इस भव्य वरघोड़े की सबसे खास बात है अति प्राचीन रथ, जिस पर भगवान् की सवारी निकली जाती है. यह भव्य रथ अत्यंत मनोरम एवं दर्शनीय है. हज़ारों की संख्या में जैन एवं जैनेतर श्रद्धालु इस रथ में आरूढ़ परमात्मा के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं. पुरे रस्ते में दर्शनार्थियों का ताँता लगा रहता है. इस भव्य रथ यात्रा एवं अन्य कार्यक्रमों में सभी साधर्मी वन्धु सादर आमंत्रित हैं.

भव्य रथ का पिछला हिस्सा - पौष दसमी 

पौष दसमी वीडियो २००९ 



Thanks,
Jyoti Kothari

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Monday 6 November 2017

साधु साध्वियों के बिहार मार्ग (Route)


साधु साध्वियों के बिहार मार्ग 
(Route)

जैन साधुओं का बिहार- समूह में 
सभी जानते हैं की जैन साधु साध्वी गण पैदल बिहार करते हैं और गाड़ी घोड़ों का प्रयोग नहीं करते. लम्बे-लम्बे बिहार में उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. जिन स्थानों से साधु साध्वी भगवंतों का बिहार कम होता है वहां यह सनस्य बहुत ही विकत हो जाती है. अनेक स्थानों पर स्थानीय संघ उनकी सहायता के लिए आगे आता है और बहुत सी जगह परम पूज्य साधु साध्वी भगवंतों को अपने स्तर पर ही उन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. जहाँ पर स्थानीय संघ या कोई श्रावक/ श्राविका बिहार में मदद करना भी चाहते हैं उन्हें भी सही रस्ते की जानकारी नहीं होने से वे सही तरीके से मदद नहीं कर पाते हैं. सही बिहार मार्ग की जानकारी से यह समस्या काफी हद तक कम हो सकती है.

भगवन महावीर के पूर्व भावों की कथा में प्रभु ने नयसार के भव में सम्यग दर्शन उपार्जन किया था. उस भाव में नेसार ने जंगल में मार्ग भूले हुए साधुओं को आहार दान दे कर व उन्हें सही मार्ग बता कर सम्यग दर्शन की भूमिका तैयार की थी. नयसार ने मुनियों को द्रव्य से मार्ग बताया और प्रतिदान में मुनियों ने उन्हें मोक्ष का भावमार्ग बताया. इस प्रसिद्द कथा से श्रमण/ श्रमणियों को बिहार में सहायता करने का फल स्पष्ट है.

परम पूज्या स्वर्गीया प्रवर्तिनी महोदया श्री सज्जन श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या एवं परम पूज्या प्रवर्तिनी महोदया श्री शशिप्रभा श्री जी महाराज साहब की अज्ञानुवर्तिनी विदुषी साध्वी श्री सौम्यगुणा श्री जी महाराज की प्रेरणा, मार्गदर्शन एवं सहयोग से श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर ने इन बिहार मार्गों का संकलन किया है जिससे यह सभी के लिए उपयोगी हो सके. इस कार्य को करने का सम्पूर्ण श्रेय परम पूज्या साध्वी श्री सौम्यगुणा श्री जी को है.

प्रस्तुत है ऐसे ही कुछ बिहार मार्ग (Route) की जानकारी- उम्मीद है यह साधु-साध्वियों के बिहार में मददगार सावित होगी.





















































Thanks,
Jyoti Kothari
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