Wednesday, 24 October 2012

Historic wooden Chariot in Jaipur Khartar Sangh: Old images

Historic Chariot in Jaipur Khartar Sangh 

Images 

Historic Chariot at Mohanbadi temple campus, Jaipur


Mr. Chhajulal in the driving seat of wooden chariot



Side view of the historic Chariot in Jaipur



Backside view of the historic chariot in Jaipur


Khartar Gachchh Sangh, Jaipur had started making a gorgeous chariot in the year 1890 for procession of Lord Parasnath, 23rd Jain Tirthankar. It took a long 16 years to complete the work. The chariot was continually used in processions of Lord Parasnath in his birth day Paush Dashmi till the year 2006.

The procession used to start from Sri Suparshwanath temple (Panchayati Mandir, Gheewalon ka Rasta) to reach Sri Adinath temple, Mohanbadi passing through the roads of Johri Bazar, Badi Choupad, Ramganj Bazar and Surajpole Gate. It used to return through the same way to Panchayati temple. The procession of Paush Dashmi now starts from Mohanbadi temple to Gheewalon ka rasta but without the historic chariot on wheels.

  The chariot is a great example of Mogul Rajput school of woodcraft. It is a huge one. It has beautiful craftsmanship. Pair of wooden horses in front of the chariot looks great.

Mr. Girdharilal is a living member of the family who built and maintained the wooden chariot for more that a century.  He has provided me with four historic photographs of the legendary chariot. These photographs are taken somewhat between 1970 and 1980. We are reproducing these images here for your perusal. I hope you will admire the craftsmanship, gorgeousness and beauty of the legendary chariot in Jaipur.






 Thanks,
Jyoti Kothari

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Jain Research Center and University


Sri Jain Shwetambar Khartar Gachchh Sangh have decided to start a Jain University in Jaipur. We are working on the project and a vision document is prepared. We are in process of drafting a project report. We are looking for a suitable land required to start a full fledged University.

We have already started a Jain Research Center at Sri Vichakshan Bhawan, MSB Ka Rasta, Johri Bazar. Initially we have started Jain and Prakrit language classes. Dr. Tara Daga, an eminent Prakrit scholar is appointed to take the classes. It is important to know that all Jain Agams are written in various Prakrit languages. Approximately 25 students have registered their names so far and attending the class.

We are providing scholarships to scholars pursuing their doctoral program. MS. Reena Baid is about to get her Ph.D degree. She is also working on a sponsored project on Shwetambar Jain temples in Jaipur.

Dr. Hemlata Chatar, a Ph.D in environment sciences has decided to pursue her post doctoral studies. She will work on the topic "Jainism and environment".

We also provide free food and accommodation facilities to foreign scholars visiting Jaipur working on Jainism. Large numbers of foreign scholars have visited our research center and library. It is worth mention that the Sangh has been running a Jain library that contains large numbers of Jain books.

Eminent Jain scholars likes of Sri Surendra Bothra, Dr. Sagarmal Jain, Dr. Premsuman Jain, Prof. John Cort, Prof. L. A.  Babb, Prof. Brian Brazeal, and many others are associated with us in the Jain research center.

Thanks,
Jyoti Kothari

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चाकसू मेला 4 नवम्बर, रविबार को


श्री शांतिनाथ स्वामी मंदिर, चाकसू का मेला 4 नवम्बर, 2012 रविबार को आयोजित होगा। श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ के तत्वावधान में होने वाले इस मेले के लिए श्री आदिनाथ मंदिर, कटला, आगरा रोड से सुबह 6 बजे बस प्रस्थान करेगी। घाट मंदिर होते हुए ये बस खोह नागोरिआन स्थित श्री सुपार्श्वनाथ मंदिर जाएगी जहाँ पर पूजा सेवा एवं नाश्ते के पश्चात् वहां से रवाना हो कर चाकसू पहुचेगी। चाकसू में दादाबाड़ी दर्शन कर बस श्री शांतिनाथ स्वामी मंदिर आयेगी। इसी मंदिर में श्री शांतिनाथ पञ्च कल्याणक पूजा पढाई जाएगी। पूजन पश्चात् साधर्मी वात्सल्य का आयोजन रखा गया है।

 साधर्मी वात्सल्य के बाद वहां से रवाना हो कर चन्दलाई एवं बरखेडा स्थित मंदिरों के दर्शन करते हुए बस वापस लौटेगी।  सभी साधर्मी बंधुओं से कार्यक्रम में पधारने हेतु विनती है।

बस का टिकट 100/ प्रति व्यक्ति रखा गया है एवं टिकट शिवजीराम भवन में 2 नवम्बर तक उपलव्ध रहेगा।
Thanks,
 Jyoti Kothari

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Monday, 22 October 2012

खरतर गच्छ संघ में नवपद ओली की आराधना आज से

 खरतर गच्छ संघ में नवपद ओली की आराधना आज 21 अक्तूबर से प्रारम्भ हुई। परम पूज्य श्री विनय मुनि जी आदि ठाना 3 एवं परम पूज्या श्री सुयशा श्री जी आदि ठाना 3 की निश्रा में श्री विचक्षण भवन में आश्विन मास  की नवपद ओली की आराधना हो रही है। प्रातः 9 बजे से व्याख्यान एवं उसके बाद नवपद ओली की क्रियाएं कराइ जाती है। पुरुष एवं महिलाएं दोनों ही इस में उत्साह से भाग ले रहे हैं।

  खरतर गच्छ संघ की ओर से शिवजीराम भवन में आयम्बिल एवं निब्बिगय की सुन्दर व्यवस्था है।  नवपद ओली के अलावा इस समय कुछ लोग वर्धमान ओली एवं अन्य तपस्याएँ भी कर रहे हैं।  इस वर्ष ओली करने के लाभार्थी श्री शांतिलाल जी राजेश कुमार जी डागा परिवार हैं।

Jain Festival of India: Navpad Oli (Ayambil) in Jainism


Thanks,
Jyoti Kothari

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Monday, 15 October 2012

आमेर चंदाप्रभु भगवान का ऐतिहासिक मेला 18 अक्तूबर गुरुवार को

 आमेर में श्री चंदाप्रभु भगवान  का ऐतिहासिक मेला 18 अक्तूबर 2012 गुरुवार को आयोजित होगा। श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ द्वारा आयोजित यह मेला जयपुर में विराजित सभी साधू साध्वी भगवंतों के सान्निध्य में आयोजित होगा।  इस मेले के अवसर पर प्रातः 6 बजे शिवजीराम भवन से चतुर्विध संघ अमर के लिए पैदल प्रस्थान करेगा। वहां पर भक्तामर पाठ के पश्चात् प्राचीन श्री चंदाप्रभु भगवन के मंदिर में पक्षाल पूजन होगा। इसके बाद श्री नन्दीश्वर द्वीप की प्राचीन रचना में श्री नन्दीश्वर द्वीप की पूजा पढाई जाएगी। इस पूजा की रचना इसी मंदिर की प्रतिष्ठा के अवसर पर श्री शिवचंद्र गणी ने की थी।

पूजन पश्चात् सधर्मी वात्सल्य का आयोजन रखा गया है जिसमे हजारों लोगों के भाग लेने की उम्मीद है। विशेष बात ये है की यह मेला कम से कम सौ वर्षों से आयोजित हो रहा है जिसमे सम्पूर्ण श्वेताम्बर  जैन समाज सम्मिलित होता आया है। इस मेले में खरतर गच्छ के अलावा तपागच्छ, स्थानकवासी, तेरापंथी अदि सभी शामिल होते हैं। जयपुर श्वेताम्बर जैन समाज का यह सब से बड़ा एवं प्राचीन समारोह है।

सभी सधर्मी बंधुओं से निवेदन है की इस मेले पर पधार कर समारोह की शोभा बढ़ाएं एवं समाज की एकता को परिपुष्ट करें। मेले में पधारने पर प्राचीन मंदिर एवं दादाबाड़ी के दर्शन एवं साधू साध्वी भगवंतों का सान्निध्य भी प्राप्त होगा।

Travel Jaipur: Historic Jain temple in Amber

Thanks,
Jyoti Kothari

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