Thursday, 25 July 2013

Lalitprabh Chandraprabh Pravachan attract crowd of thousands


Photo: जीवन को पाॅवरफुल बनाने के लिये सोच को पाॅजिटिव बनाइये: संत चंद्रप्रभ।
अगर सारे संत सकारात्मक सोचना षुरू कर दे तो फिर से धरती पर 
साकार होगा राम-कृष्ण और महावीर का युग
जयपुर 24 जुलाई। महान दार्षनिक राष्ट्रसंत चन्द्रप्रभ महाराज ने आज कहा कि सकारात्मक सोच इंसान की सबसे बड़ी ताकत है महान सोच के चलते ही इंसान सफलता के षिखरों को छू सकता है, स्वस्थ, प्रसन्न और मधुर जीवन जीने का पहला और अंतिम मंत्र सकारात्मक सोच है। दुनिया में संभव है कोई मंत्र निष्फल हो जाये पर सकारात्मक सोच का मंत्र आज तक निष्फल नहीं हुआ। अगर व्यक्तित्व को उपर उठाना है, कॅरियर को नई उंचाईयां देनी हैं, परिवार में प्रेम बढ़ाना है, टूटे समाजों को एक करना है और बुढ़ापे को जोष भरा बनाना है तो व्यक्ति को सकारात्मक सोच का मालिक बने। राष्ट्रसंत श्री चन्द्रप्रभ आज एस.एम.एस ग्राउण्ड में कड़वे प्रवचन दिव्य सत्संग के अन्तर्गत चैथे दिन विषाल जनसमुदाय को संबोधित कर रहे थे।
जब भी सोचे सकारात्मक सोचे। 
राष्ट्रसंत ने जयपुरवासियों को जीवन निर्माण के सूत्र देते हुए कहा कि जीवन के हर घटना के प्रति सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। रिष्तों में सकारात्मकता का रस घोलने की सीख देते हुए कहा कि सास बहू के प्रति, बहू सास के प्रति, पिता पुत्र के प्रति और पुत्र पिता के प्रति जब भी सोचे सकारात्मक सोचे। 
जि़ंदगी की जिस डगर पर आप खड़े है उसमें आप गिला षिकवा पालने की बजाय उसका आनंद लीजिए। पांव में जूते नही है तो क्या हुआ मैं तो उनसे ज्यादा सुखी हुं जिनके पांव ही नहीं है। 
बुरा मत सोचो का चैथा सूत्र 
संतप्रवर ने कहा कि गांधीजी के तीन बंदरों बुरा मत देखो, बुरा मत कहो और बुरा मत सुनो के साथ चैथा सूत्र दिया कि बुरा मत सोचो। 
कमरांे को कब्रिस्तान मत बनाओ।
मुनिश्री ने कहा कि परिवार में प्रेम होना चाहिए, घर परिवार में कमरे होते है और कब्रिस्तान में कब्रे होती है अगर भाई भाई आपस में नहीं बोलते है तो कमरे कब्रिस्तान हो जाया करती है। 
ई्रष्वर एक हैं
राष्ट्रसंत ने धर्मों के बीच समीकरणों को समझाया। उन्होंने कहा कि मंदिर की स्पेलिंग में 6 अक्षर होते है और मस्जिद और चर्च में भी 6 ही अक्षर होते है और इनके शास्त्रों गीता में 5 अक्षर तो कुरान और बाइबिल में भी 5 ही अक्षर होते है। 6 में से 5 घटाने पर 1 आता है अर्थात गाॅड इज वन, ईष्वर एक है। 
संत और समाज को दी एकता की नसीहत।
एकता का नया पाठ पढाते हुये संत ने कहा कि जब जब संतो ने नकारात्मक सोचा तब तक समाज बटॅता चला गया। अगर सारे संत मिलकर सकारात्मक सोचना षुरू कर दे तो ष्वेताम्बर-दिगम्बर एक हो जायेगे और इस धरती पर फिर से राम- कृष्ण और महावीर का युग सार्थक  हो जायेगा। उन्होनं कहा कि समाज वो होता है जहा समानता और सकारात्मकता का पाठ सीखने को मिलता है आजकल संतो के यहा भी अमीर लोग ही आगे बैठते हैै लेकिन संत लोग याद रखे कि अमीरो के बल पर खूबसूरत पाण्डाल तो बनवाया जा सकता है लेकिन भरा नही जा सकता। कम से कम संतो का द्वार तो ऐसा होना चाहिये जहा पर गरीबो को भी सम्मान के साथ आगे बैठाया जाये। 
सद्विचारो का करे लेन-देन
मुनिश्री ने मंच पर श्रावको को बुलाकर एक एक रूपये के सिक्के का आपस में लेन देन कराया। फिर कहा कि इससे तो आपके पास एक एक रूपया ही रहा। लेकिन यदि आपस में अच्छे विचारो का लेन देन करेंगे तो हर एक के पास दो सद्विचार होंगे। इस प्रयोग से पाण्डाल तालियों से गूंज उठा।
के एफ पी सफलता का मंत्र
सोच को पोजिटिव बनाने का अंतिम प्रेक्टिकल मंत्र देते हुए संत प्रवर ने कहा कि जीवन में चाहे जैसी घटना घट जाये एक मंत्र को हमेषा याद रखें के.एफ.पी. अर्थात ‘‘की फरक पैंदा‘‘ किसी ने कुछ कह दिया, कभी नुकसान हो गया तो समझो की फरक पैंदा। यदि आप इस मंत्र को अपना ले तो दुनिया की कोई ताकत आपको दुःखी नहीं कर सकती। 
सही सोच हो, सही दृष्टि हो, सही हो कर्म हमारा बदले जीवन सारा.......भजन सुनकर श्रद्धालु हुये अभिभूत- 
ंप्रवचन सभा के आरम्भ में मुनि षांतिप्रिय महाराज ने नवकार एवं गायत्री मंत्र सुनाकर भावपूर्ण मंगलाचरण किया। जब उन्होंने ‘‘ सही सोच हो, सही दृष्टि हो, सही हो कर्म हमारा बदले जीवन सारा........ मेहनत को हम दीप बनाये, लगन को समझे ज्योति, पत्थर में से हीरा जन्मे.....और सागर से मोती। बाधाओं से डरना कैसा, मिलता स्वयं किनारा, बदले जीवन धारा.... भजन सुनाया तो श्रद्धालु अभिभूत हो उठे। जब मुनिप्रवर ने दो अक्षर का लक, ढ़ाई अक्षर का भाग्य, तीन अक्षर के नसीब और साढे तीन अक्षर के किस्मत, इन चारों पर भारी पडता है चार अक्षर का षब्द मेहनत । को बताया तो मैदान तालियों की गडगडाहट से गंूज उठा
इससे पूर्व क्रान्तिकारी राष्ट्रसंत मुनिश्री तरुणसागर मुनि श्री ललितप्रभसागर एवं मंुनिचन्द्रप्रभसागर की समाजश्रेष्ठी राजेन्द्र छाबड़ा, निर्मल गोयल, जोधपुर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष साहित अंसारी ने संतो की भावपूजा व महाआरती की। 
43 दिवसीय बहुप्रतीक्षित कड़वे-प्रवचन दिव्य सत्संग के पाॅचवे  दिन यानि 25 जुलाई को क्रान्तिकारी राष्ट्रसंत मुनिश्री तरुणसागर जी के कडवे प्रवचन  प्रातः 8.45 बजे होेंग

PP Mahopadhyay Sri Lalitprabh Sagar Ji, Chandraprabh Sagar Ji Maharaj have been delivering Pravachan at SMS Investment ground, Rambagh circle, Jaipur along with Digambar Jain muni Tarunsagarji Maharaj. Their Pravachan attract crowd of thousands daily.

Sri Jain Shwetambar Khartar Gachh Sangh, Jaipur has been organizing Chaturmas 2013 of both Lalitprabh and Chandraprabh Sagar Ji. It is worth noted that the Khartar Gachchh Sangh, Jaipur has taken a historic step of Jain unity by organizing joint Pravachan with Digambar Jain saint.

All these three Jain monks are delivering their speeches alternatively between 8.45 and 10.15 AM at SMS Investment ground. Thousands of spectators are coming to listen their Pravachan daily. PP Mahopadhyay Sri Lalitprabh Sagar Ji, Chandraprabh Sagar Ji Maharaj are speaking about behavior improvement, personality development, positivity and other important current and life style topics that have created attraction among people regardless of cast and creed. Large numbers of non-Jain spectators are also coming daily to listen them along with both Shwetambar and Digambar Jain audience.

All of the major daily newspapers are publishing their speeches with due importance. Local and state level TV channels are also covering them. Their speeches can change lives of many according to the spectators. Simplicity of both Sri Lalitprabh Sagar Ji, Chandraprabh Sagar Ji  also attracts people. Despite their celebrity status they are easily approachable. Any one can meet them at their present stay at
C/O Sri Santosh Chand Ji Jharchur,
2nd floor, above "Nayaab",
Near Soni Hospital opp. Bilrla temple,
64, JLN Marg, Jaipur.

Hundreds of visitors are meeting them daily to be blessed. Large numbers of VIPs also are approaching them. However, they meet with common people and VIPs without any discrimination. You can also be one to meet with them.

ललित प्रभ चन्द्र प्रभ सागर जी के दर्शनार्थ यात्रियों का तांता

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Thursday, 18 July 2013

ललित प्रभ चन्द्र प्रभ सागर जी के दर्शनार्थ यात्रियों का तांता




प.पू. राष्ट्रसंत द्वय महोपाध्याय श्री ललित प्रभ सागर जी महाराज चन्द्र प्रभ सागर जी महाराज का जयपुर चातुर्मास श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ जयपुर द्वारा आयोजित है। दिनांक 14.7.2013 सायंकाल भव्य प्रवेश के बाद से ही आप लोग अपने शिष्य शान्तिप्रिय सागर जी महाराज के साथ तीनों संत विचक्षण भवन, मोतिसिंह भौमियां का रास्ता, जौहरी बाजार में विराज रहे हैं। आप लागों के यहां पधारने के साथ ही दर्शन हेतु श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। आपके दर्षनार्थ अति विशिष्ट लोग भी पधारें।

16 जुलाई को जयपुर की प्रथम महिला श्रीमती ज्योति खण्डेलवाल-महापौर ने महाराज श्री के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। उसी दिन तेरापंथ संघ के मंत्री राजेन्द्र बांठिया ने आपके दर्शन किये एवं आपको संघ में आने का निमंत्रण दिया।

17 जुलाई को जयपुर के विधायक मोहनलाल गुप्ता ने आप से आशीर्वाद प्राप्त किया एवं जैन समाज को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा दिलाने के संदर्भ में चर्चा की। सुबोध शिक्षा समिति के अध्यक्ष नवरत्न मल कोठारी ने जैन एकता के लिये किये गये प्रयासो की सराहना की। साथ ही उन्होने इस संबंध में आपसे विस्तृत विचार विमर्ष किया। प्रो. चैनसिंह बरला, जैन आगम विशेषज्ञ सुरेन्द्र बोथरा एवं जैन इतिहासज्ञ डा शिवप्रसाद ने प्रस्तावित जैन विश्वविद्यालय की रूपरेखा से अवगत कराया ।पद्मभुषन देवेन्द्र राज मेहता एवं उनके साथ पधारी दो अमेरिकी महिला श्रीमती एरिका एवं सुश्री क्लेयर ने आपके दर्शन किये एवं जीवदया के संबंध मे किये जाने वाले कार्यो के लिये आपसे मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त किया।  इन्डियन एक्सप्रेस के श्री नवरत्न दूगड ने भी महाराज श्री से आशीर्वाद  प्राप्त किया। 18 जुलाई को रामानन्द समुदाय के संत स्वामी हनुमद्दास जी महाराज पधारे एवं गौवंश संरक्षण संवर्धन के संबंध मे आपसे विचार विमर्ष किया। महाराज श्री के अनन्य भक्त राजस्थान पुलिस के महानिरीक्षक गौतम राज भंसाली ने भी आज आप मुनियों के दर्शन लाभ प्राप्त किये.

जयपुर के अतिरिक्त जोधपुर, भीलवाडा, केकडी, कलकता, बिकानेर, मुम्बई, रतलाम, इन्दौर आदि विभिन्न स्थानों के यात्री आपके दर्शनार्थ लगातार पधार रहे है।        

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Wednesday, 17 July 2013

Jin Dutt Suri Swargavas Diwas on July 19


Sri Jin Dutt Suri, first Dadagurudev had left for his heavenly abode on Ashadh Shukla Ekadashi, Samvat 1211 at Ajmer. His Swargavas Diwas has been falling on July 19, 2013.

Sri Jain Shwetambar Khartar Gachchh Sangh, Jaipur will celebrate the day in the auspices of PP Mahopadhyay Lalitprabh Sagar Ji, Chandraprabh Sagar Ji, Shantipriya Sagar Ji Maharaj Sahab. Reverend Jain monks will address the audience at Shivjiram Bhavan at 9 AM.

There will be chanting of Guru Ikteesa and devotional songs after Pravachan. All are cordially invited.

Yugapradhan Dada Sri Jin Dutt Suri is the foremost among all Jain Acharya who converted more than one lakh thirty thousand non vegetarians in to vegetarians. He was instrumental in establishing several Gotras to spread Oswal community of Swetambar Jain. He belonged to Khartar Gachh and was disciple of Acharya Ballabh Suri. Second Dadaguru manidhari Jin Chandra Suri was his direct descendant.

PP Mahopadhyay Lalitprabh Sagar Ji, Chandraprabh Sagar Ji, Shantipriya Sagar Ji Maharaj Sahab belong to the same Khartar Gachh and are successors of traditions of Dadagurudev. They have done wonderful job for Jain unity this year along with Sri Jain Shwetambar Khartar Gachchh Sangh, Jaipur.

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Tuesday, 16 July 2013

Jaipur created history in Jain unity


Khartar Gachchh Sangh, Jaipur created history in Jain unity
Khartar Gachchh Sangh, Jaipur initiated Jain unity


Jaipur, the Pink city has created history in Jain unity on July 14, Sunday when both Digambar and Shwetambar Jain saints delivered joint speeches at Badi Choupad. Shwetambar Jain (Khartar Gachchh) saints PP Mahopadhyay Lalitprabh Sagar Ji, Chandraprabh Sagar Ji, Shantipriya Sagar Ji Maharaj and Digambar Jain saint PP Tarunsagar Ji Maharaj had a joint Chaturmas Pravesh. Few other monks and nuns also participated in the event.

It was a rainy day and Jaipur was facing heavy rainfall. 3 inches of rainfall recorded in that afternoon. Rain stopped at around 5.15 and PP Mahopadhyay Lalitprabh Sagar Ji et al started from Mahavira Swami Swetambar Jain temple (Multan Mandir) where as PP Tarunsagar Ji  started from Baradia colony simultaneously. Both met at Ramniwas garden where from procession started. There was a large crowd waiting at every corner of the road to join historic procession.

Chaturmas entrance procession moved through New gate, Choura Rasta, Tripolia and reached to Badi Choupad where a large crowd of devotees were waiting to listen these three great orator Jain saints. They wanted to be witness of the historic event of Jain Unity.

Mahendrajit Singh Malaviya, Panchayati Raj Minister was walking all along with the procession. He delivered his speech to welcome all saints from Rajasthan government. Renowned play back singer Ravindra Jain was singing devotional songs to welcome Jain unity. However, public was eager to listen the Jain monks.

Shwetambar Jain (Khartar Gachh) monk PP Chandraprabh Sagar started speaking and told about the historic event. He urge everyone to take this unity with a positive mindset and to ignore all small differences. Digambar Jain Muni Tarunsagar Ji maharaj told that this is like BJP and Congress are united. Shwetambar Jain nuns (Tapagachh) PP Narendra Sri Ji MS were also present.

N K Sethi, President, Mahendra Surana, Secretary and Manak Kala, convener, Tarunsagar Chaturmas Samiti: Manak Chand Golechha, President and Jyoti Kothari, Secretary, Sri Jain Shwetambar Khartar Gachchh Sangh, Jaipur were standing behind all these saints.

The procession moved through Johari Bazar and entered into Gheewalon Ka Rasta where Tapagachh nuns entered into their Chaturmas place Atmanand Sabha Bhavan.  PP Mahopadhyay Lalitprabh Sgar Ji et al proceeded from there for Darshan at Sri Suparshvanath Swami temple and then to Shivjiram Bhavan.

Muni Chandraprabh Sagar addressed the audience at Vichakshan Bhavan opp to Shivjiram Bhavan. He told that they have come to awake the people regardless of cast, creed and religion. Jyoti Kothari informed that they are getting support from all corners and blessings from various Jain monks and nuns (all sects). He told that he is overwhelmed with this support and blessings and urge everyone to act to spread the message of Jain unity.

He informed that there would be joint Pravachan of these three great orator Jain saints at SMS Investment ground, Rambagh circle, Jaipur from July 21 to September 1, 8.45 AM to 10.15 AM. All are invited.

ललितप्रभ चन्द्रप्रभ सागर जयपुर चातुर्मास प्रवेश १४ जुलाई


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Monday, 8 July 2013

Khartar Gachchh Sangh met Lalitprabh and Tarunsagar


Sri Jain Shwetambar Khartar Gachchh Sangh met Mahopadhyay Sri LalitprabhSagar Ji, Chandraprabh Sagarji and Digambar Jain Muni Tarunsagarji yesterday to discuss Chaturmas issues. The deligation was comprised of Sangh President Manak Chand Golechha, Jyoti Kothari, Secretary, Mohanlal Daga, Tresurer and Sohanlal Surana, Mahesh Mahamwal executive members.

Mahopadhyay Sri LalitprabhSagar Ji and Chandraprabh Sagarji were in Kishangarh. Both the great orator monks delivered their Pravachan on Saturday and Sunday at local K D Jain institute. Thousands of spectators were present to listen their talks on positivism. Khartar delegation was also part of the listeners on Sunday.

Both the monks have proceeded from Kishangarh yesterday evening. They will reach Dudu tomorrow and leave from there on Wednesday. Both the monks will reach Jaipur by July 13 and stay at Aradhna Bhavan, Shyamnagar.

The Khartar Sangh delegation also met Muni Tarunsagar at Jhag near Mouzamabad and discussed issues related to joint Pravesh and joint sermons. It is worth noted that Khartar Gachchh Sangh has extended hands for Jain unity and Pravachan of above mentioned saints will be organized jointly at SMS investment ground from July 21 to September 1, 2013. Jaipur Pravesh ceremony will be organized in form of a procession starting from Ramniwas Bagh at 4 PM, July 14, Sunday.  Monks and nuns from most of the Jain sects will take part in this procession.

All are requested to join the procession and speeches.

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