जयपुर के निकट दुदू में बूचड़खाना (राजस्थान) का निर्माण हो रहा था. स्थानीय जनता इस बूचड़ खाने को रोकने का प्रयत्न कर रही थी। १५ महीने तक संघर्ष करने, न्यायालयों के स्थगन आदेश के बावजूद कत्लखाने का निर्माण जारी रहा. ६ अप्रैल २०१३ को खरतर गच्छ संघ, जयपुर के संघमंत्री ज्योति कोठारी को इस विषय में जानकारी मिलि. उन्होंने तत्काल स्थानीय लोगों से संपर्क किय। इसी बीच प. पू. उपाध्याय मणिप्रभ सागर जी के सुशिष्य जीवदया प्रेमी प. पू मैत्रिप्रभ सागर जी का मालपुरा दादाबाड़ी में पदार्पण हुआ. संघ मंत्री एवं स्थानीय संघर्ष समिति से विचार विमर्श के बाद उन्होंने १७ अप्रैल से दुदू जा कर अनशन करने का निर्णय लिया एवं १५ तारीख को दुदू पहुच गये. उन्होंने कत्लखाना बंद नहीं होने पर अनशन करने की सुचना स्थानीय प्रशासन एवं मुख्य मंत्री को दे दि.
जीवदया प्रेमी प. पू मैत्रिप्रभ सागर जी महाराज के अनशन कि सुचना से प्रशासन सक्रीय हुआ एवं मुनिश्री से संपर्क स्थापित किया. इसके बाद १६ अप्रैल को मैत्रिप्रभ सागर जी महाराज, संघर्ष समिति एवं स्थानीय प्रशासन (उपखंड अधिकारी) के बीच समझौता हुआ एवं कत्लखाने को बंद करने का निर्णय लिया गया। इस समझौते के बाद मुनिश्री ने अनशन निरस्त करने का निर्णय लिया.
१७ अप्रैल को श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर के अध्यक्ष माणक चंद गोलेछा की अध्यक्षता में दुदू में एक विशाल जनसभा का आयोजन हुआ. इस आयोजन में मुनिश्री के इस कार्य के लिए आभार व्यक्त किया गया एवं प्रशासन को कह दिया गया की यदि फिर से इस बूचड़ खाने को खोलने का प्रयास किया गया तो इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा। खरतर गच्छ संघ की और से संघर्ष समिति के प्रमुख हनुमान दूधवाला एवं अन्य सदस्यों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया. सभा को संघ मंत्री ज्योति कोठारी, सांस्कृतिक मंत्री राजेंद्र भंसाली, गुड मोर्निंग इंडिया अखवार के सम्पादक सुरेन्द्र जैन एवं अनेक स्थानीय लोगों ने संवोधित किया.
कार्यक्रम के पश्चात् मुनिश्री ने जयपुर की ओर विहार किया।
Thanks,
Jyoti Kothari
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